फसल सिफारिशें
ख़रीफ फसल - असिंचित अपलेन्ड धान
उर्वरक प्रबंधन
- असिंचित अपलेन्ड धान के लिए उर्वरक की उपयुक्त मात्रा इस प्रकार से है।
- फास्फोरस 30-35 कि.ग्रा.हे बोनी के समय मिलाए।
- पोटाश 20-30 कि.ग्रा.हे
- नत्रजन 45-60 कि.ग्रा.हे ( 3 भागों में-ज्ञतनजप क्मअ 010अमय।
- फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन का एक तिहाई भाग बेसल मात्रा के स्प में डाले।
- नत्रजन के दूसरे एक तिहाई भाग का भुरकाव अकुंरण के 40 दिन के बाद करें।
- नत्रजन के तीसरे एक तिहाई भाग का भुरकाव बाली बनने की प्रांरभिक अवस्था में करें।
- जिस मिट्टी में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो और वो क्षारीय हो इस मिट्टी में लौह तत्व की कमी हो सकती है।
- बोनी के पहले अगर बीज को 2 प्रतिशत फेरस सल्फेट के घोल में रात भर भिगोकर रखा जाए तो लौह तत्व की कमी नहीं होती है।
सिंचाई प्रबंधन
- असिंचित अपलेन्ड धान की खेती उन क्षेत्रों में की जाती है जहां वार्षिक वर्षा 750-1100 मि.मी. होती है।
- सूखी घास,भूसे आदि से ढाककर नमी को संरक्षित करें।
- बरसाती पानी का सरंक्षध करें जिससे कि भूमि में दाने के बनने तक उपयुक्त नमी रहे।
- अगर पानी की अत्याधिक कमी हो तो फसल की इन क्रान्तिक अवस्थाओं जैसे कल्ले फूटते समय, गभोट एवं दाने भरने के समय सिंचाई करें।
अन्तर सस्य क्रियायें
- अकुंरण के 20 और 40 दिन बाद हाथ से नींदा निकाले।
- नत्रजन की दूसरी एवं तीसरी मात्रा डालने के पूर्व नींदा नियंत्रण करें।
- जिन क्षेत्रों में मिट्टी में नमी की कमी हो तो उन क्षेत्रों में भूसे आदि को डाले जिससे नमी संरक्षण हो सके।