फसल सिफारिशें
खरीफ फसल - कुटकी
आई. पी. एम
- प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
- प्रतिरोधक जातियों का उपयोग करें।
- बोनी समय पर करें।
- अत्याधिक सिंचाई न करे।
- अत्याधिक नत्रजन का उपयोग न करे।
- खाद व उर्वरक का सतुंलित मात्रा में उपयोग करें।
- खेत में खरपतबार होने पर उन्हें उखाड़कर नष्ट देना चाहिए।
- बीज उपचार अवश्य करें।
- अपने क्षेत्र के लिए अनुमोदित किस्मों का उपयोग करें।
- पानी का जमाव होने पर जल निकास की अच्छी व्यवस्था करें।
- अच्छी तरह सड़ी हुई खाद का उपयोग करें।
- रोग और कीट के लक्षण दिखने पर कवकनाशी का उपयोग करें।
- उर्वरक का उपयोग बीज के नीचे लाइन में करे।
कटाई एवं गहाई
कटाई :-
- जब पौधे पीले से सुनहरे भूरे हो जाए तब कटाई करनी चाहिए।
- यह अवस्था सिंतबर से अक्टूबर महीने के दौरान आती है।
- फसल को काटने के निए हंसिये का उपयोग किया जाता है और फसल को जमीन की सतह से थोड़े ऊपर से काटा जाता है।
- काटने के बाद फसल को छोटे-छोटे ढेरों में बांध दिया जाता है।
- इन ढेरों को साफ फर्श में सूरज की रोशनी में 7 से 8 दिन सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।
गहाई:-
- जब बांधे गये बंडल सूख जाते है तब गहाई की जाती है जिससे दाने ढीले पड़ जाते है।
- यांत्रिक विधियों जैसे लट्टे से पीटना या बैल के पैरों के नीचे कुचलने के द्वारा गहाई की जाती हैè
उडावनी :-
- सूपे या हवा के विपरीत फटकने से उड़ावनी की जाती है।