फसल सिफारिशें
खरीफ फसल - मक्का
आई. पी. एम
- खेत में समय समय पर जाकर कीड़ों एवं प्राकृतिक जैविकों का अवलोकन करना चाहिए।
- कटाई के बाद गहरी जुताई करने से सफेद लट और तना छेदक के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
- अच्छी तरह सड़ी हुई खाद का ही उपयोग करना चाहिए ताकि सफेद लट के प्रकोप से बचा जा सके।
- फसल चक्र अपनाए।
- अग्रिम बोनी से शूट फ्लाई इत्यादि का प्रकोप कम किया जा सकता है।
- बीज दर में थोड़ी सी वृध्दि कर बाद में पौध संख्या में विरलन करें।
- रोग सहनशील / प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें।
- गंगा-5 और संकुलित जातियों में तना छेदक कीट का प्रकोप कम होता है।
- प्रकाश प्रपंच का उपयोग करने से सफेद लट और कार्न छेदक को निंयत्रित किया जा सकता है। इसके लिए 125 वॉट का मरकरी वेपर का लेम्प का उपयोग करे।
- फेरोमैन ट्रेप के उपयोग से नर तना छेदक का निंयत्रण किया जा सकता है।
- हर हेक्टेयर में पांच फेरोमैन टे्रप लगाना चाहिए एवं प्रतिदिन इनमें एकत्र पखियों को नष्ट करें।
- फसल के पूर्व अवशेषों को नष्ट करें।
- एपेन्टालिस, टाइकोग्रामा, लेडी बर्ड बीटल, केरेबिडस एवं मकडी इत्यादि मित्र कीटों का संरक्षण करें ।
- फसल पर भुट्टा बेधक (हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा) के अण्डे एवं छोटी इल्लियों दिखाई देने पर हेलिकोवर्पा एन.पी.वी. 250 एल.ई. (इल्ली समतुल्य) घोल का छिडकाव प्रति हेक्टर की दर से करें ।
- तना छेदक हेतु टाइकोग्रामा चिलोनिस के 75000 अण्डे प्रति हेक्टर प्रति सप्ताह की दर से फसल पर छोडें ।
रासायनिक कीटनाशकों द्वारा :
- प्ररोह मक्खी द्वारा प्रकोपित क्षेत्रों हेतु कार्बोफ्यूरान 50 एस.पी. द्वारा 100 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें ।
- तना छेदक के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 ई.सी.1000 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से उपयोग करें ।
- पत्तियों के आस पास दानेदार दवा कार्बोफ्यूरान 3 जी.10 किग्रा. प्रति हेक्टर की दर से तना छेदक के नियंत्रण हेतु 4-6 दाने प्रति पोगली डालें ।
- माहू कीट जो पत्तियों से रस चूसते हैं साथ ही पराग कणों के झडने में भी कारक होते हैं । इत: इनके नियंत्रण हेतु डाइमिथोएट 30 ई.साी. 750 मिली. प्रति हेक्टर की दर से टसलिंग अवस्था में छिडकाव करें ।
- भुट्टा बेधक (हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा) जो मक्के के दानों को मुख्य रूप से हानि पहुंचाते हैं ।