कीट - ट्राईपोराइज़ा इंसर्टुलस
प्रचलित नाम - तना छेदक
क्षति
- इल्लियां तने को अन्दर से खाकर नुकसान करती है।
- पत्तियों की शिराओं को नुकसान पहुंचाती है।
- अधिकतम फूल आने के पहले ही मूल गोभ से नुकसान होता है।
- पौधों मे कुछ हद तक भरपाई अतिरिक्त कल्लों के कारण होती है।
आई.पी. एम
- कीट अवरोधी प्रजातियों जैसे रत्ना,जयश्री, दीप्ती, साकेत, विकास इत्यादि की बुआई करें।
- नत्रजन युक्त उर्वरकों का उचित व संतुलित मात्रा में उपयोगकरें।
- कीट नियंत्रण अपनाए।
- गर्मी में गहरी जुताई करें।
- समय से पूर्व या समय पर रोपाई/बुआई करें।
- स्वस्थ नर्सरी का विकास करें एवं रोपाई के पहले पौध की ऊपरी पत्तियों की छटाई करें।
- प्रकाश प्रपंच का उपयोग करें।
नियंत्रण
- रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
- पीला तना छेदक के लिए आर्थिक देहली स्तर 10 प्रतिशत क्षति है।
- कल्ले निकलते समय 3 प्रतिशत फ्यूराडिन 20-25 कि. ग्रा. /हे या 4 प्रतिशत कार्टफ 17-18 कि. ग्रा. /हे की दर से भुरकाव करे।
- यदि आवश्यक हो तो पुष्पगुच्छ निकलने के पहले दोबारा भुरकाव करे।
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कीट - नीलापर्वता ल्यूगेन्स
प्रचलित नाम - भूरा भूनगा फुदका
क्षति
- पौधे के विभिन्न अंगों से कीट रस चूसते है, जिससे फसल फूल आने के पूर्व सूखने लगती है
- फसल का सूखना घेरे मे होता है और घेरा धीरे-धीरे आकार मे बड़ा होता जाता है
- फसल झुलसी सी दिखाई देती है
आई.पी. एम
- प्रतिरोधी किस्मों जैसे मानसरोवर, ज्योति, अरूणा आदि का उपयोग करें
- धान के खेत के आस-पास की घास व खरपतवार का उन्मूलन करें।
- जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
- नत्रजन युक्त उर्वरकों का उचित व संतुलित मात्रा में उपयोग करें।
- प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें।
- अण्डा परजीवी-ऐनागरस स्पी एवं आलीगोसीटा स्पी, वयस्क एवं शिशु परभक्षी लाइकोसा स्पी मकड़ी का प्रयोग करें।
नियंत्रण
- रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
- भूरा भुनगा फूदका का आर्थिक देहली स्तर 5-10 कीट प्रति पेड़ी है।
- मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव 600-700 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से(600 से 700 लीटर पानी में) करे ।
- 10 प्रतिशत फोरेट रवेदार की 10 कि.ग्रा./हे या 3 प्रतिशत कार्बोफ्यूरान दानेदार 30 कि.ग्रा./हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
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कीट - लेप्टोकोरिसा ओरेटोरियस
प्रचलित नाम - गंधी मक्खी
क्षति
- शिशु एवं वयस्क कीट दानों में दूधिया अवस्था में दूध चूसते है। बालियों में दाने नहीं बन पाते और वे पोचे रह जाते हैं।
- दानोंपर किये गये छेदों कं चारों ओर काले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
आई.पी. एम
- धान के खेत के आस-पास की घास व खरपतवार का उन्मूलन करें।
- प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें।
नियंत्रण
- रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
- धी मक्खी का आर्थिक देहली स्तर 1-2 कीट प्रति पेड़ी यानी 5 प्रतिशत है
- 25 कि.ग्रा./हे के दर से सुबह के समय भुरकाव करें
- .036 मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव 600-700 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से करे ।
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कीट - माइथिमना सेपरेटा
प्रचलित नाम - चड़ने वाली इल्ली
क्षति
- यह कीट पत्तियों को मध्य शिरा एवं तने को छोड़ कर किनारे से खाती है।
- क्षति इल्ल्यिों के द्वारा होती है।
आई.पी. एम
- धान की कटाई के उपरांत खेत की गहरी जुताई करें तथा पौधे के ठूंठे को नष्ट करें।
- कीट के अण्डों को नष्ट करें।
- जैविक नियंत्रकों को बचाये।
नियंत्रण
- रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
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कीट - सोगोटेला फर्सीफेरा
प्रचलित नाम - सफेद पीठ वाला भुनगा-फुदका
क्षति
- शिशु एवं वयस्क पत्तियों तथा तने से रस चूसते हैं जिससे उस स्थान पर भूरे दाग पड़ जाते हैं।
- ौधे की वृध्दि तक रूक जाती है।
- ीट बधिता के कारण पत्तिसां रंगहीन होकर सिरे से नीचे की ओर सूखकर गोल हो जाती हैं।
- कीट प्रभावित पत्तियां प्रारम्भ में पीली और बाद में उनका रंग ईंट के रंग के समान हो जाती हैं।
आई.पी. एम
- गर्मी में गहरी जुताई करें तथा पौधे के ठुंठे को नष्ट करें।
- ्रतिरोधी किस्मों जैसे सुरक्षा, शक्तिमान आदि का उपयोग करें।
- ान के खेत के आस-पास की घास व खरपतवार का उन्मूलन करें।
- निकासी की उचित व्यवस्था करें।
- नत्रजन युक्त उर्वरकों का उचित व संतुलित मात्रा में उपयोग करें
- प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें।
- अण्डा परजीवी-ऐनागरस स्पी एवं आलीगोसीटा स्पी, वयस्क एवं शिशु परभक्षी लाइकोसा स्पी मकड़ी का प्रयोग करें।
नियंत्रण
- रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
- ूरा भुनगा फूदका का आर्थिक देहली स्तर 5-10 कीट प्रति पेड़ी है
- मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव 600-700 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से(600 से 700 लीटर पानी में) करे ।
- 3 प्रतिशत कार्बोफ्यूरान दानेदार 30 कि.ग्रा./हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
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कीट - हाइड्रेलिया स्पेसीज
प्रचलित नाम - वर्ल मेगट
क्षति
- नई कोंपलों के अन्तरशिरायों के तन्तुओं को नष्ट कर देती है।
- कल्ले कम फूटते हैं।
- नुकसान रोपाई से कल्ले फूटने तक होता है।
- रूके हुये पानी में खेतों पर आक्रमण करता है।
आई.पी. एम
- गरमी में खेत की जुताई करें , खेत की किनारी अच्छी तरह से बनाये तथा पौधे के ठूंठे को नष्ट करें।
- जल्दी एवं समय पर बुवाई-रोपाई करें।
- स्वस्थ एवं अच्छी नर्सरी बनायें।
- बूटिंग के बाद दानेदार दवाओं का उपयोग न करें।
- फूल की अवस्था में दवाओं का भुरकाव या छिड़काव दोपहर के बाद या शाम को करें।
नियंत्रण
- रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
- कार्बोफ्यूरान दानेदार 0.75 कि.ग्रा.(सक्रिय तत्व)/हेक्टर या फिप्रोनिल दानेदार 75 ग्रा.(सक्रिय तत्व)/हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
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कीट - ओरसेओलिया ओरायजी
प्रचलित नाम - धान की गंगई (गॉल मिज)
क्षति
- नर्सरी से प्रारम्भ होकर कल्ले निकलने की अवस्था तक इल्ली हानि पहुंचाती है।
- इल्ली तने के अन्दर प्रवेश कर जाती है।
- कीट ग्रसित तना चांदी के रंग की पोंगली में परिवर्तित हो जाता है और कीट ग्रसित पौधे में बालियां नहीं आती हैं।
- कल्ले फूटने की अवस्था में सर्वाधिक हानि होति है।
आई.पी. एम
- प्रतिरोधी किस्मों जैसे फाल्गुना, सुरेखा, आई.आई. 33, अभया, रुचि आदि का प्रयोग करें।
- धान की कटाई के उपरांत पौधे के ठूंठे को नष्ट करें।
- नत्रजन युक्त उर्वरकों का उचित व संतुलित मात्रा में उपयोग करें।
- प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें।
- चांदी वाली पोंगलियों को उखाड़कर नष्ट करें।
- प्राकृतिक शत्रु प्शेटीमैस्ट्रा का प्रयोग करें।
नियंत्रण
- बुवाई के 10 दिन पश्चात नर्सरी में दानेदार दवा कार्बोफ्यूरान 2 प्रतिशत
- अंकुरित बीजों को 0.2 प्रतिशत क्लोरपाईरीफॉस 20 ई.सी. के घोल में बोने के पूर्व 3 घण्टे तक भिगोये।
- धान के पौधों की जड़ों को 0.02 प्रतिशत क्लोरपाईरीफॉस में रोपाई के पूर्व 12 घण्टे तक या 0.02 प्रतिशत क्लोरपाईरीफॉस /1 प्रतिशत यूरिया में 3 घण्टे डुबोकर रोपाई करें।
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कीट - स्क्रिपोफागा इंसर्टुलस
प्रचलित नाम - पीला तना छेदक
क्षति
- इल्ली तने को खाकर हानि पहुंचाती है।
- तनों में डेड हार्ट बन जाता है।
- पौधा में नये कल्ले का विकास होता है।
आई.पी. एम
- नत्रजन की अत्याधिक उपयोग न करें।
- प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें। जैसे रत्ना,सायाश्री, साकेत, विकास और पाईयार।
नियंत्रण
- आर्थिक देहली स्तर तना छेदक के लिए 10 प्रतिशत डेड हार्ट है।
- अगर कीट का आक्रमण 10 से 20 प्रतिशत या ज्यादा हो तो रसायनिक कीट नियंत्रण अपनाए।
- कल्ले बनने के समय भुरकाव करें।
- 3 प्रतिशत फ्यूराडेन 20-25 कि.ग्रा./हे या 4 प्रतिशत कारटाफ 17-18 कि.ग्रा./हे।
- अगर जरूरत पड़े तो छिड़काव पुन: करें।
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कीट - डाईक्लाडिस्पा आर्मीजेरा
प्रचलित नाम - धान का हिस्पा
क्षति
- वयस्क काले रंग का होता है। शरीर पर छोटे छोटे कांटे होते है जो 4 से 4.5 मि.मी. के होते है।
- शिशु पत्ती के अन्दर सुरंग बनाते है जिससे उस पर फफोले के समान सेरचना बन जाती है।
- वयस्क पत्तियों के पर्णहरित को खरोंच खरोंच कर लम्बाई में पास पास सीधी रेखायें बनाते है। जिससे पत्तियों के सूखने से उपज में कमी आती है।
आई.पी. एम
- पौधे के पत्तियों के सिरे को तोड़ इनकी रोपाई करें।
- बेकान पाजीवी का नियंत्रण में उपयोग करें।
नियंत्रण
- 0.036 प्रतिशत मोनोक्रोटोफॉस का 600 से 700 मि.ली /हे की दर से छिड़काव करें।
- 3 प्रतिशत दाने दार कार्बाफ्यूरान का 30 कि.ग्रा./हे की दर से उपयोग करें।
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कीट - सूडी
प्रचलित नाम - झुण्ड में रहने वाली सूडी
क्षति
- यह एक पंतगा है।
- यह भूरे रंग का होता है इसकी लम्बाई 40 से 50 मि.मी. होती है तथा 6 से 7 मि.मी. चौड़ा होता है।
- रात के समय यह कल्ले एवं पत्तियों को काटकर खाता है।
आई.पी. एम
- सहनशील किस्मों उगाए।
- फसल चक्र अपनाए।
- नत्रजन का अत्याधिक उपयोग न करें।
- स्वच्छ खेती करे।
नियंत्रण
- 900 से 1050 मि.ली. क्वीनालफॉस का 600 से 700 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर शाम के समय छिड़काव करें।
- मेलाथियान 50 ई.सी. 500 मि.ली. प्रति हेक्टर 600-700 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
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